Regenerative Farming कैसे करें ?

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Regenerative farming (पुनर्योजी खेती) एक ऐसी खेती की पद्धति है जो मृदा स्वास्थ्य, जैव विविधता, और पारिस्थितिक तंत्र को बहाल और सुधारने पर केंद्रित होती है। इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करना और भूमि की उत्पादकता को बनाए रखना है।

मृदा को ढकना (Soil Cover): मृदा को ढकने के लिए मल्चिंग (जैसे कि घास, पत्तियां) का उपयोग करें ताकि मिट्टी की नमी बनी रहे और जड़ी-बूटियों की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सके।

कृषि विविधता (Crop Diversity): विभिन्न फसलों की खेती करें ताकि मृदा में पोषक तत्वों की विविधता बनी रहे और कीट और बीमारियों का जोखिम कम हो सके।

फसल चक्र (Crop Rotation): फसलों को हर साल अलग-अलग क्षेत्रों में उगाने से मृदा में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है और बीमारियों और कीटों से बचाव होता है।

पशुधन का समावेश (Integration of Livestock): अगर संभव हो, तो पशुधन को खेती में शामिल करें। उनके मल को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और उनकी चराई से मृदा में प्राकृतिक उर्वरक मिलता है।

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